CISF के जवान ने सहपत्नी देहदान करने का किया संकल्प !
कामठी: ‘मरने के बाद एक दिन सभी को खाक में मिल जाना पड़ता है. कितना अच्छा हो कि मरने के बाद भी हमारा शरीर शिक्षा का माध्यम बन सके, ताकि चिकित्सक शोधकर पीडि़तों को जीवनदान दे सकें. अगर कोई धार्मिक अंधविश्वास देहदान के संकल्प में आड़े आता है तो याद करिए ऋषि दधिचि को, जिन्होंने लोगों की भलाई के लिए अपनी हड्डियां दान कर दी थीं. कुछ इन्हीं ध्येय वाक्य के आधार पर कामठी के एक CISF के स्वेच्छिक सेवा निवृत्त जवान चंद्रशेखर गंगैय्या अरगुलेवार ने सहपत्नी अपना देहदान करने का संकल्प किया है.
चंद्रशेखर अरगुलेवार यह CISF में हवालदार की पद पर कार्यरत थे. उन्होने २४ साल ८ महिने देश की सेवा की है. अब स्वेच्छिक सेवा निवृत्त के बाद समाज की सेवा कर रहे है. किसी भी समाज का व्यक्ती उनसे मदत मांगता है, तो चंद्रशेखर अरगुलेवार उन्हे ना नही करते. उनके नि:स्वार्थ सेवाभाव के कारण सभी समाज की और से उनका गौरव किया गया है. कामठी के उनके निवासस्थान पर जाने पर उनके सन्मान चिन्ह देखने के बाद उन्हे दिलसे’सलूट’करने का मन करता है.
चंद्रशेखर अरगुलेवार इन्हे पत्नी का हर पल साथ मिला है. देश की सेवा में चंद्रशेखर थे, तो पत्नी उनका हौसला बढ़ाने का काम करती थी. आज भी चंद्रशेखर अरगुलेवार के समाजकार्य में उनके पत्नी का बहुत बढ़ा योगदान है. डॉक्टर की शिक्षा लेनेवाले गरीब छात्रों को अपनी’बॉडी’का फायदा हो. इस उद्देश के साथ चंद्रशेखर अरगुलेवार ने सहपत्नी देहदान करने का संकल्प किया है.