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ओबीसी आरक्षण फिर आया, चुनाव का रास्ता साफ, सत्ता गिरने के बाद सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

ओबीसी आरक्षण फिर आया, चुनाव का रास्ता साफ, सत्ता गिरने के बाद सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

नई दिल्ली: राज्य के स्थानीय निकायों में ओबीसी समुदाय के राजनीतिक आरक्षण की बहाली का मार्ग प्रशस्त हो गया है.  सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत बंठिया आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए ओबीसी आरक्षण वाले स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की मंजूरी दे दी है.  इससे राज्य में ओबीसी समुदाय को बड़ी राहत मिली है.

महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी.  उसके बाद ठाकरे सरकार ने इस आरक्षण को बहाल करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी थी.  हालांकि, वे इसमें सफल नहीं हुए.  हालांकि शिंदे-फडणवीस सरकार के चंद दिनों के भीतर ही सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को हरी झंडी दे दी है.

कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने कुछ स्थानीय निकायों के चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की थी. ये चुनाव अगस्त महीने में होने थे. हालांकि, राज्य चुनाव आयोग ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य में 92 नगर परिषदों और 4 नगर पंचायतों में सदस्यों के पदों के लिए आम चुनावों को स्थगित कर दिया. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने अगले दो हफ्ते में नए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने का आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बीजेपी विधायक चंद्रशेखर बावनकुले ने खुशी जाहिर की है. पिछले ढाई साल में ठाकरे सरकार ने ओबीसी आरक्षण में देरी की है. अब भी अगर बनठिया आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी होती तो राज्य सरकार रिपोर्ट को दबा देती.

महाराष्ट्र में ओबीसी समुदाय और भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस आरक्षण को पाने के लिए संघर्ष किया था. हालांकि चंद्रशेखर बावनकुले ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह संघर्ष आखिरकार सफल हुआ है.

८ जुलाई को सार्वजनिक कार्यक्रम क्या था?

राज्य चुनाव आयोग ने ८ जुलाई को ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी. इस हिसाब से मतदान प्रक्रिया १८ अगस्त को पूरी होनी थी, जबकि नतीजे १९ अगस्त को घोषित किए जाने थे. १७ जिलों में कम बारिश वाले नगर निगम क्षेत्रों में चुनाव कराने की घोषणा की गई.  लेकिन १४ जुलाई को चुनाव स्थगित कर दिए गए.

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